MS Dhoni on IPL Retirement: संन्यास के बारे में सोच भी नहीं रहे एमएस धोनी, बताया आईपीएल के बाद क्या करते हैं 7-8 महीने

MS Dhoni IPL Retirement: साल 2008 से लगातार आईपीएल खेल रहे महेंद्र सिंह धोनी की टीम चेन्नई सुपर किंग्स प्लेऑफ से बाहर हो चुकी है, जिसके बाद उन्होंने रिटायरमेंट पर बड़ा बयान दिया है।

MS Dhoni on IPL Retirement: संन्यास के बारे में सोच भी नहीं रहे एमएस धोनी, बताया आईपीएल के बाद क्या करते हैं 7-8 महीने

MS Dhoni IPL 2025: 7 जुलाई को 44 साल के होने जा रहे एमएस धोनी ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि आईपीएल 2025 उनका आखिरी आईपीएल होगा या नहीं। कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ मिली जीत के बाद धोनी ने कहा, “मैं साल में केवल दो महीने ही खेलता हूं। जब यह आईपीएल खत्म होगा, तो मुझे फिर से छह से आठ महीने में कड़ी मेहनत करनी होगी, ताकि मैं देख सकूं कि मेरा शरीर इस तरह का दबाव झेलने के लिए फिट है या नहीं। तो अभी मेरे लिए कुछ तय करने जैसा नहीं है, लेकिन जहां भी मैं गया हूं, वहां मुझे प्यार और अपनापन मिला है।”

इस वजह से धोनी नहीं करते ज्यादा बल्लेबाजी

धोनी अभी सीमित क्षमता के साथ बल्लेबाजी कर रहे हैं। सीएसके के मुख्य कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने भी कहा है कि उनके घुटने उन्हें ज्यादा देर बल्लेबाजी करने नहीं देते। बुधवार को, धोनी 13वें ओवर में मैदान पर आए, जब डेवाल्ड ब्रेविस एक आतिशी अर्धशतकीय पारी के बाद आउट हुए। उन्होंने शिवम दुबे का साथ निभाया और आखिरी ओवर में आंद्रे रसेल पर जरूरी छक्का लगाकर सीएसके को जीत दिलाई। इस जीत का आधार ब्रेविस और उनकी टीम के नए खिलाड़ी उर्विल पटेल ने रखा, जिन्होंने बुधवार को अपना आईपीएल डेब्यू किया। उर्विल ने पहली ही गेंद पर छक्का जड़ा और फिर अपनी 11 गेंदों की 31 रन की पारी में तीन और छक्के लगाए, जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 281.81 रहा।

इसके बाद ब्रेविस ने कमान संभाली और 22 गेंदों में अर्धशतक जड़ दिया, जिसमें उन्होंने तेज गेंदबाज वैभव अरोड़ा के खिलाफ लगातार 6, 4, 4, 6, 6, 4 के हिट्स किए। धोनी ने कहा कि असली मैच की स्थितियां ही युवा खिलाड़ियों के कौशल और मानसिक ताकत को परखने का सबसे अच्छा तरीका हैं। प्लेऑफ की दौड़ से बाहर हो चुकी सीएसके अब अपने बचे हुए कुछ मैचों का इस्तेमाल आईपीएल 2026 की तैयारी में कर रही है।

उन्होंने कहा, “बात यह है कि ये खिलाड़ी अभी हमारे साथ हैं, तो हमें उन्हें परखने का मौका मिला है। आप उन्हें नेट्स में देख सकते हैं, अभ्यास मैचों में देख सकते हैं, लेकिन असली मैच जैसी कोई चीज नहीं होती। हम अब टूर्नामेंट से बाहर हैं, तो हमारे पास तीन मैच थे, जहां हम उन्हें मौका दे सकते थे और हमें देखना था कि वे कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। यह कोई तकनीकी पहलू नहीं है, जिसे हम देखना चाहते हैं। खिलाड़ी का रवैया और मानसिक मजबूती ही असल मायने रखता है। जरूरी नहीं कि सबसे तकनीकी रूप से मजबूत बल्लेबाज ही सबसे ज्यादा रन बनाए, बल्कि वह जो मैच को ज्यादा अच्छे से समझता है, जो समझता है कि गेंदबाज क्या करने की कोशिश कर रहा है, अगर उसने ऐसा फील्ड लगाया है तो वह क्या गेंद डालेगा, क्या वह धोखा देने वाली गेंद डालेगा, आजकल ये सब चीजें बहुत मायने रखती हैं।”

Original Source - Patrika Live News

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