UP Nine Districts Heat Wave Alert: लखनऊ सहित 9 जिले प्रचंड गर्मी की चपेट में, मौसम विभाग ने जारी की हीट वेव चेतावनी
UP Weather: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में प्रचंड गर्मी ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। बांदा, उरई, लखनऊ, कानपुर और हमीरपुर जैसे शहरों में तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है। रातें भी गर्म बनी हुई हैं। मौसम विभाग ने हीट वेव को लेकर अलर्ट जारी किया है।

UP Heat Wave Warning: उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी ने जनजीवन को बेहाल कर दिया है। प्रदेश के कई जिलों में तापमान लगातार 44 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया जा रहा है। बांदा और उरई सबसे गर्म स्थान रहे, जहां तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया। वहीं लखनऊ, कानपुर, इटावा, वाराणसी, बहराइच, झांसी और आगरा जैसे शहरों में दिन का अधिकतम तापमान 44 डिग्री या उससे अधिक रिकॉर्ड किया गया। रात का तापमान भी सामान्य से काफी ऊपर बना हुआ है। कानपुर और हमीरपुर जैसे स्थानों पर रात में न्यूनतम तापमान 32.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो जून के औसत से लगभग 6 डिग्री अधिक है।
दिन-रात तापमान में रिकॉर्ड उछाल
मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश के कई जिलों में दिन का तापमान सामान्य से 4 से 6 डिग्री ज्यादा चल रहा है, जबकि रात का तापमान भी औसत से 5 से 7 डिग्री अधिक है। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक मानी जाती है, विशेष रूप से बुजुर्गों, बच्चों और हृदय व सांस की बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए। लखनऊ मौसम केंद्र के अनुसार, राज्य के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री से ऊपर दर्ज किया गया। झांसी, प्रयागराज और आगरा में दिन का पारा 44–45 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा, जिससे सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा।
लू का कहर, अलर्ट जारी
भीषण गर्मी के साथ चल रही सूखी गर्म हवाओं (लू) ने हालात और भी भयावह बना दिए हैं। मौसम विभाग ने राज्य के कई जिलों में हीट वेव (लू) की चेतावनी जारी की है और आमजन से दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक घर से बाहर न निकलने की सलाह दी है। हीट वेव के चलते बिजली की मांग भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों के अत्यधिक उपयोग से विद्युत वितरण प्रणाली पर दबाव बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगहों पर लोडशेडिंग भी देखने को मिली है।
मानसून का इंतजार, लेकिन अभी राहत नहीं
हालांकि बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के बनने और महाराष्ट्र-कर्नाटक तटों पर सक्रिय साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण पूर्वी भारत की ओर मानसून ने गति पकड़ ली है, लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी मानसून की आमद में कुछ दिन और लग सकते हैं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों तरफ से मॉनसूनी सिस्टम सक्रिय नहीं होते, तब तक उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों को गर्मी से राहत नहीं मिलेगी।
फिलहाल प्रदेश के पूर्वी जिलों (गोरखपुर, बलिया, देवरिया, वाराणसी आदि) में हल्के बादल छाए हुए हैं और उमस भरा मौसम बना हुआ है। लेकिन मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जैसे लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, झांसी और आगरा ,में अभी भी तपती धूप और सूखी हवाओं का दबदबा कायम है।
आने वाले 24 घंटे: बारिश की हल्की संभावना
मौसम विभाग की ताज़ा भविष्यवाणी के अनुसार अगले 24 घंटों में प्रदेश के कुछ हिस्सों में तेज हवाओं (30-40 किमी प्रति घंटा) के साथ आंधी-तूफान और हल्की बारिश की संभावना जताई गई है। कुछ क्षेत्रों में बिजली गिरने की घटनाएं भी हो सकती हैं। हालांकि यह बारिश बहुत सीमित होगी और इससे तापमान में स्थायी गिरावट की उम्मीद नहीं है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मौसम परिवर्तन स्थानीय मौसमी परिस्थितियों का असर है, जो थोड़े समय के लिए राहत दे सकता है, लेकिन अगले सप्ताह तक भीषण गर्मी का दौर जारी रहने की संभावना है।
स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी और सुझाव
- स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को हीट स्ट्रोक से बचने के लिए कई सुझाव जारी किए हैं:
- दोपहर के समय बाहर न निकलें
- हल्के और ढीले कपड़े पहनें
- दिन भर पानी और तरल पदार्थ लेते रहें
- धूप में जाने से पहले सिर ढकें और चश्मा पहनें
- वृद्धजन और छोटे बच्चों को धूप से बचाएं
- पालतू जानवरों का भी विशेष ध्यान रखें
हीट स्ट्रोक के लक्षणों में अत्यधिक पसीना, चक्कर आना, कमजोरी, उल्टी और बेहोशी शामिल हैं। इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
कृषि पर असर, किसान चिंतित
लंबे समय से गर्मी बने रहने और मानसून में देरी से कृषि पर भी असर पड़ रहा है। धान की नर्सरी लगाने का समय नजदीक है, लेकिन अभी तक पर्याप्त नमी न होने से किसान चिंतित हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जल्द ही मानसून सक्रिय हो और खेतों में बुवाई शुरू की जा सके। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि यदि गर्मी का यह दौर और लंबा खिंचता है, तो उन्हें बिजली और सिंचाई की सुविधाएं प्राथमिकता पर दी जाए, ताकि कम से कम खरीफ फसलों की तैयारी पर असर न पड़े।
Original Source - Patrika Live News
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