बढ़े स्क्रीन टाइम की वजह से बढ़ रही आंखों की समस्या

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण समय से पहले लोगों को आंखों से जुड़ी परेशानियां घेर रही हैं। स्ट्रेन के कारण लो विजन के चलते भैंगेपन की समस्या तक हो रही है।

बढ़े स्क्रीन टाइम की वजह से बढ़ रही आंखों की समस्या

लखनऊ (ब्यूरो)। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण समय से पहले लोगों को आंखों से जुड़ी परेशानियां घेर रही हैं। स्ट्रेन के कारण लो विजन के चलते भैंगेपन की समस्या तक हो रही है। हालांकि, मेडिकल एडवांसमेंट और अवेयरनेस के चलते लोग समय पर इलाज के लिए पहुंच भी रहे हैं, जिससे लोगों की आंखों की रोशनी को बचाया जा पा रहा है।

बच्चों में लो विजन की समस्या बढ़ रही

केजीएमयू के आई डिपार्टमेंट के डॉ अरुण कुमार शर्मा के मुताबिक, आजकल की लाइफस्टाइल को देखे तो एक बार चश्मा चढ़ गया तो उसे ठीक करने के लिए कोई रेमेडी कारगर नहीं है। आपको हमेशा के लिए चश्मा पहनने के साथ-साथ हर छह माह पर आई चेकअप करवाना होगा। यह समस्या छोटे बच्चों में ज्यादा देखने को मिल रही है। क्योंकि बच्चे 7-8 घंटा तक स्क्रीन टाइम दे रहे है, जिससे आंखों में रेडनेस, खुजली, आंखों में दर्द या जलन जैसी समस्या बनी हुई है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी हो रही कॉमन

संजय गांधी पीजीआई के आई डिपार्टमेंट के हेड डॉ विकास कनौजिया के मुताबिक, लोगों में डायबिटीज की समस्या के चलते डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। चूंकि शुरुआत में इसके कोई लक्षण जल्द नजर नहीं आते है। ऐसे मे, जैसे ही किसी को डायबिटीज का पता चले तो तुरंत डायबिटिक रेटिनेापैथी की जांच करवानी चाहिए। भारत में डायबिटीज काफी कॉमन हो चुकी है। ऐसे में, बचाव के लिए स्क्रीनिंग बेहद महत्वूपर्ण होती है। ओपीडी में अगर 40-50 मरीज डायबिटीज वाले आते हैं तो उनमें करीब 15 में रेटिनोपैथी की समस्या होती है, जबकि 10-15 फीसद की रोशनी कम हो चुकी होती है। हालांकि, अलग-अलग स्टेज का होने पर इसके अलग-अलग ट्रीटमेंट है इसलिए समय रहते जांच और ट्रीटमेंट बेहद जरूरी है। ऐसे पेंशेंट को डॉक्टर या डायटिशियन की सलाह पर डायट चार्ट बनवाना चाहिए।

ऐसे करें आंखों की देखभाल

बलरामपुर अस्पताल में सीनियर आई स्पेशलिस्ट डॉ कुसुमकला बताती हैं कि स्क्रीन टाइमिंग अधिक होने से आंखों पर स्ट्रेन अधिक पड़ता है। साथ ही ड्राइनेस की समस्या बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए

-20-20-20 तकनीक अपनाएं

-20 मिनट में 20 सेकेंड के लिए 20 फीट की दूरी पर किसी को देखें और फ्रिीक्वेंट ब्लिंकिंग करते रहें

-बच्चों में स्क्रीन टाइम की लिमिट तय करें

-8 घंटे की नींद जरूर लें

लेजर तकनीक बेहद कारगर

आई ट्रीटमेंट में काफी एडवांसमेंट आ चुका है। लेजर तकनीक से चश्मा हटाया जा सकता है। पर यह महंगा है और हर कोई इसे करवा नहीं सकता है। इसके अलावा, लेजर की मदद से कई अन्य समस्याएं आसानी से दूर की जा रही हैं। इसे अलावा, फ्लैक्स व मिक्स जैसी एडवांस तकनीक भी काफी मददगार है। पर हेल्दी आई की शुरुआत घर से ही कर सकते हैं। इसमें पालक, बथुआ, गाजर, पपीता व अनार आदि का सेवन अधिक करना चाहिए।

ऐसे करें बचाव

-हेल्दी डायट लें

-आई एक्सरसाइज करें

-हर छह माह पर चेकअप करवाएं

-टेंशन कम लें

-बीपी व शुगर कंट्रोल रखें

लोगों में डायबिटिज बढ़ने से डायबिटिक रेटिनोपैथी बेहद कॉमन होती जा रही है इसलिए डायबिटीज का पता चलते ही जांच करवानी चाहिए ताकि समय रहते ट्रीटमेंट किया जा सके।

-डॉ विकास कनौजिया, पीजीआई

स्क्रीन टाइमिंग अधिक होने से आंखों की समस्या बढ़ रही है। बच्चों में समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। समय रहते बचाव बेहद जरूरी है।

-डॉ अरुण कुमार शर्मा, केजीएमयू

Original Source - iNext Live News

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