कॉस्ट्यूम को लेकर डायरेक्टर का 44 साल बाद खुलासा, ‘उमराव जान’ फिल्म से जुड़ा है मामला
Bollywood News: ‘उमराव जान’ को रिलीज हुए 44 साल हो चुके हैं। लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद निर्देशक मुजफ्फर अली कॉस्ट्यूम को लेकर अब जाकर खुलासा किया है।

Umrao Jaan Costume: फिल्म ‘उमराव जान’ को रिलीज़ हुए 44 साल हो चुके हैं, लेकिन इसके निर्देशन मुजफ्फर अली फिल्म के कॉस्ट्यूम डिज़ाइन को लेकर एक दिलचस्प खुलासा किया है।
एक समाचार एजेंसी से बातचीत में मुजफ्फर अली ने बताया कि फिल्म के कपड़े बाजार से नहीं, बल्कि लोगों के घरों और पुरानी अलमारियों से जुटाए गए थे। इन कपड़ों में इतिहास की झलक के साथ बुनकरों के काम की खूबसूरती भी शामिल थी।
बता दें मशहूर फिल्म निर्माता-निर्देशक की फिल्म साल 1981 में रिलीज हुई थी। लेकिन कल्ट क्लासिक ‘उमराव जान’ एक बार फिर से सिनेमाघरों में दस्तक देने को तैयार है। अपनी शानदार कहानी, म्यूजिक के साथ-साथ 19वीं सदी के लखनऊ की शाही वेशभूषा के लिए मशहूर फिल्म को लेकर मुजफ्फर अली ने और क्या बताया, चलिए जानते हैं।
निर्देशक को इस बात का है अफ़सोस
मुजफ्फर अली ने बताया कि ‘उमराव जान’ सिर्फ डायलॉग्स से नहीं, बल्कि कपड़ों के ज़रिए भी अपनी कहानी कहती है। उन्होंने कहा कि हर किरदार के कपड़े उसकी पहचान और उस दौर की संस्कृति को दिखाते थे। ये सारे कपड़े हाथ से बनाए गए थे और उनमें प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि आजकल बाजार में मिलने वाले तैयार कपड़ों ने उस दौर की खासियत को पीछे छोड़ दिया है, जब लोग अपने कपड़े खुद सिलते, रंगते और पहनते थे।
मुजफ्फर अली ने कहा, “फिल्म का हर सीन कपड़ों के ज़रिए कुछ कहता है। ये कपड़े लोगों के घरों से या पुरानी जगहों से इकट्ठा किए गए थे। उस ज़माने में केमिकल वाले रंग या नायलॉन नहीं, बल्कि हाथ से बुने हुए कपड़े और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल होता था। इन्हें बनाने में मेहनत लगती थी, लेकिन नतीजा बेहद खूबसूरत होता था।”
उन्होंने आगे कहा, “उस दौर में कपड़े, संगीत या कोई भी चीज बनाने में लोग पूरी तरह डूब जाते थे। आज के समय में वह चीजें नहीं मिलतीं, कह सकते हैं कि वह समय अब जा चुका है।”
‘उमराव जान’ की रिलीज के तीन दशक बाद, यह फिल्म 27 जून को 4के रिस्टोर्ड वर्जन में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है।
Original Source - Patrika Live News
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