UP Liquor Policy: नई शराब नीति का बड़ा असर: यूपी को अप्रैल में 1000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व, लक्ष्य 63 हजार करोड़
Beer And Liquor Shops: उत्तर प्रदेश में लागू की गई नई शराब नीति 2025-26 ने राजस्व बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। अप्रैल माह में बीयर और शराब की संयुक्त दुकानों की व्यवस्था से राज्य को ₹1,000 करोड़ अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। विभाग को 63,000 करोड़ रुपये का वार्षिक लक्ष्य मिला है।

UP Liquor Policy Update: 2025-26 की शराब नीति के तहत यूपी सरकार ने ‘कंपोजिट रिटेल शॉप्स’ यानी बीयर और देशी/अंग्रेजी शराब की एक साथ बिक्री वाली दुकानों की अनुमति दी। इसका लक्ष्य था उपभोक्ताओं की सुविधा बढ़ाना और कारोबारी प्रक्रियाओं को सरल बनाना। इसके साथ ही, शराब की श्रेणियों में विविधता लाई गई, नई लाइसेंस कैटेगरी शुरू की गईं और निम्न अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों के प्रचार को बढ़ावा मिला।
2. राजस्व में ऐतिहासिक बढ़ोतरी
- अप्रैल 2025 में आबकारी विभाग ने ₹4,319 करोड़ राजस्व अर्जित किया, जबकि अप्रैल 2024 में यह ₹3,313 करोड़ था।
- यह 1000 करोड़ की सीधी बढ़त है, यानी लगभग 30% की साल-दर-साल वृद्धि।
- पूरे वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लक्ष्य ₹63,000 करोड़ निर्धारित किया गया है, जो 2024-25 के ₹52,575 करोड़ के मुकाबले 20% अधिक है।

3. क्यों बढ़ा राजस्व
- कंपोजिट दुकानों से बिक्री में स्पष्ट बढ़ोतरी देखी गई।
- दैनिक बिक्री के आंकड़े पहले की तुलना में अधिक रहे।
- लाइसेंस शुल्क को तर्कसंगत बनाकर व्यवसायियों को प्रोत्साहित किया गया।
- शराब व्यापार में “Ease of Doing Business” की नीति अपनाई गई जिससे निजी निवेश भी बढ़ा।
4. अवैध कारोबार पर सख्ती
- अप्रैल 2025 में 9,768 मामले दर्ज हुए अवैध शराब को लेकर।
324 लोगों को गिरफ्तार किया गया। - 13 वाहन जब्त किए गए जो शराब की तस्करी में इस्तेमाल हो रहे थे।
इसका साफ संदेश है कि जहां सरकार राजस्व बढ़ाने के उपाय कर रही है, वहीं कानून-व्यवस्था और गुणवत्ता से भी कोई समझौता नहीं किया जा रहा।
अधिकारी और मंत्रियों की प्रतिक्रिया
नितिन अग्रवाल (आबकारी मंत्री): “शराब नीति से राज्य की अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है। जो पैसा इकट्ठा हो रहा है, वह पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, विकास योजनाओं और कल्याणकारी कार्यक्रमों में लगेगा।”
आदर्श सिंह (आबकारी आयुक्त): “हमने नई कैटेगरीज लॉन्च की हैं और प्रवेश बाधाओं को खत्म किया है। इससे व्यापारियों को सरलता मिली है और राजस्व में इजाफा हुआ है।”
सामाजिक पहलू और आलोचनाएं
वरिष्ठ जानकार मनोज शर्मा ने कहा कि जहां सरकार इस नीति को राजस्व के नजरिए से सफल बता रही है, वहीं सामाजिक संगठनों और कुछ विपक्षी दलों ने इस पर चिंता जताई है। जैसे कि अधिक शराब की उपलब्धता से गांव-देहात में सामाजिक तनाव की आशंका हो सकती हैं। बीयर-शराब की एक साथ बिक्री को कुछ लोगों ने “नैतिक पतन” से जोड़ा है। लेकिन सरकारी पक्ष यह कहता है कि सभी दुकानें नियमों और ज़ोनिंग पॉलिसी के तहत संचालित हो रही हैं, और ओवरसाइट लगातार हो रही है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय को लेकर सरकार की जो रणनीति हैं उसमे 63 हजार करोड़ के टारगेट को पूरा करने के लिए हर महीने औसतन ₹5,250 करोड़ का संग्रह करना होगा। डिजिटल ट्रैकिंग, जीआईएस बेस्ड लाइसेंसिंग और नई तकनीक का सहारा लिया जाएगा। ग्रामीण इलाकों में भी राजस्व स्रोतों का विस्तार किया जाएगा। यह सभी कार्य धरातल पर कैसे दिखेंगे ये समय ही बताएगा लेकिन नई शराब नीति से शराब व्यापारियों को संतुष्टि मिली हैं।
Original Source - Patrika Live News
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