UP Bureaucracy: मुख्य सचिव की कुर्सी पर सस्पेंस: क्या मनोज सिंह को मिलेगा कार्यकाल विस्तार

UP Bureaucracy on Edge: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के कार्यकाल की समाप्ति को लेकर सस्पेंस बरकरार है। सरकार सेवा विस्तार की कोशिश में है, जबकि संभावित उत्तराधिकारियों के नाम भी चर्चा में हैं। क्या सिंह को एक साल की मोहलत मिलेगी या प्रशासनिक नेतृत्व बदलेगा? फैसला केंद्र सरकार के हाथ में है।

UP Bureaucracy: मुख्य सचिव की कुर्सी पर सस्पेंस: क्या मनोज सिंह को मिलेगा कार्यकाल विस्तार

UP Bureaucracy News:   उत्तर प्रदेश की नौकरशाही एक बार फिर उस मोड़ पर खड़ी है, जहां से आने वाले वर्षों की दिशा और दशा तय हो सकती है। राज्य के मौजूदा मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह का कार्यकाल 31 जुलाई 2025 को समाप्त हो रहा है, और इसको लेकर लखनऊ से दिल्ली तक अफसरशाही और सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है। क्या सिंह को सेवा विस्तार मिलेगा या प्रदेश को एक नया मुख्य सचिव मिलने वाला है? यह सवाल अब चर्चा का केंद्र बन गया है।

मनोज सिंह ,एक निर्णायक प्रशासनिक चेहरा

1988 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी मनोज कुमार सिंह को 30 जून 2024 को उत्तर प्रदेश का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था। उन्होंने दुर्गेश शंकर मिश्रा के बाद यह जिम्मेदारी संभाली थी। सिंह न केवल प्रशासनिक अनुभव में धनी हैं, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे विश्वस्त अधिकारियों में भी उनकी गिनती होती है।

मुख्य सचिव के रूप में उनके कार्यकाल में उत्तर प्रदेश ने कई बड़ी औद्योगिक उपलब्धियाँ दर्ज की हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2024 और इसके तहत आयोजित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी जैसे आयोजन उनके नेतृत्व की कार्यकुशलता के प्रमाण हैं। सिंह ने यूपी को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के मिशन में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

सेवा विस्तार की मांग और संभावनाएं

योगी सरकार यह चाहती है कि मनोज सिंह की नियुक्ति की निरंतरता बनी रहे, ताकि विकास कार्यों में कोई व्यवधान न आए। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को औपचारिक पत्र भेजकर उनके कार्यकाल को एक वर्ष के लिए बढ़ाने की सिफारिश की है। लेकिन अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी कई मुख्य सचिवों को सेवा विस्तार मिला है। उदाहरण के तौर पर, राजीव कुमार, अनूप चंद्र पांडे और दुर्गा शंकर मिश्रा को सेवा विस्तार मिल चुका है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मनोज सिंह को भी यह सौभाग्य प्राप्त होता है या नहीं।

उत्तराधिकारी की दौड़ में कौन-कौन

यदि केंद्र सरकार सेवा विस्तार पर सहमति नहीं देती है, तो उत्तर प्रदेश को नया मुख्य सचिव मिलेगा। ऐसे में वरिष्ठता, अनुभव, मुख्यमंत्री से समीकरण और केंद्रीय स्वीकृति इन सभी मानकों को ध्यान में रखा जाएगा।

उत्तराधिकारी की दौड़ में शामिल कुछ प्रमुख नाम:

  • दीप्ति विल्सन (1989 बैच): वर्तमान में अपर मुख्य सचिव, नियोजन। विकासशील भारत को लेकर स्पष्ट विजन के लिए जानी जाती हैं।
  • मनोहर लाल मेहरोत्रा (1990 बैच): वर्तमान में कृषि उत्पादन आयुक्त (APC)। कृषि क्षेत्र में उनके कार्यों को लेकर सराहना मिली है।
  • अरविंद कुमार (1991 बैच): मुख्यमंत्री कार्यालय के साथ करीबी जुड़ाव। प्रशासनिक कुशलता के लिए प्रसिद्ध।
  • संजय अग्रवाल (पूर्व सचिव, कृषि – भारत सरकार): केंद्रीय अनुभव के चलते उपयुक्त माने जाते हैं, बशर्ते उन्हें वापस लाया जाए।

हालांकि, इन नामों में से किसे मुख्यमंत्री की प्राथमिकता मिलेगी, यह भी एक बड़ा प्रश्न है। योगी आदित्यनाथ प्रायः उन अफसरों को प्राथमिकता देते हैं जिनमें प्रशासनिक दृढ़ता के साथ-साथ नीतिगत प्रतिबद्धता और सटीक डिलीवरी क्षमता हो।

राजनीतिक समीकरण भी अहम

राज्य की नौकरशाही का नेतृत्व केवल प्रशासनिक योग्यता पर आधारित नहीं होता, इसमें राजनीतिक संतुलन भी अहम भूमिका निभाता है। 2026 के विधान परिषद चुनाव और 2027 में संभावित विधानसभा चुनाव की रणनीति को देखते हुए सरकार ऐसे मुख्य सचिव को आगे लाना चाहेगी, जो नीतियों के क्रियान्वयन में दक्ष और विश्वसनीय हो।

योगी सरकार का फोकस इस समय “डबल इंजन सरकार” के रोडमैप पर है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉ एंड ऑर्डर, इन्वेस्टमेंट और टेक्नोलॉजी से जुड़े मिशन महत्वपूर्ण हैं। इन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए ऐसा अधिकारी जरूरी है जो इन सेक्टरों में अनुभव रखता हो और मुख्यमंत्री की सोच को क्रियान्वयन स्तर तक पहुंचा सके।

सेवा विस्तार से होंगे क्या फायदे

  • चल रही योजनाओं की निरंतरता बनी रहेगी।
  • मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के बीच बेहतर समन्वय का लाभ।
  • आगामी ग्राउंड ब्रेकिंग प्रोजेक्ट्स में विलंब की आशंका घटेगी।
  • लोकसभा 2029 और राज्य विकास रोडमैप के बीच स्थिर प्रशासनिक नेतृत्व।

विपक्ष की नजर भी पैनी

जहां सत्ता पक्ष की कोशिश मनोज सिंह को बनाए रखने की है, वहीं विपक्ष इस सेवा विस्तार को लेकर सवाल उठा सकता है। कुछ वरिष्ठ विपक्षी नेताओं का मानना है कि सेवा विस्तार प्रणाली एक तरह से “चुने हुए अफसरों को पुरस्कार देने का माध्यम” बनती जा रही है।

केंद्र की भूमिका निर्णायक

राज्य सरकार की सिफारिश के बाद अब सारी निगाहें केंद्र सरकार पर टिक गई हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से यह प्रक्रिया कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT), गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक जाती है। वहां से सेवा विस्तार को लेकर निर्णय होगा।

केंद्रीय स्तर पर सेवा विस्तार के लिए कुछ शर्तें होती हैं जैसे:

  • विशेष परियोजना का अधूरा रह जाना
  • राज्य सरकार की सशक्त सिफारिश
  • कार्यकाल के दौरान उल्लेखनीय प्रदर्शन

अगला हफ्ता निर्णायक

30 जुलाई 2025 तक तस्वीर साफ होनी तय है। अगर सेवा विस्तार को स्वीकृति मिलती है, तो मनोज कुमार सिंह एक वर्ष और उत्तर प्रदेश प्रशासन का नेतृत्व करेंगे। अन्यथा राज्य को नया मुख्य सचिव मिलेगा और इसके साथ ही नौकरशाही में एक बड़ा फेरबदल भी देखने को मिल सकता है।

Original Source - Patrika Live News

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