Bijli Mahapanchayat Lucknow: बिजली के निजीकरण पर सियासी संग्राम: राजधानी में आज महापंचायत
Mega Panchayat : लखनऊ के आशियाना में रविवार को बिजली महापंचायत का आयोजन हुआ, जिसमें प्रदेशभर से आए बिजली कर्मी, उनके परिजन, किसान नेता और उपभोक्ता संगठनों ने निजीकरण का विरोध किया। सभा में बिजली दरों में वृद्धि, सेवा सुरक्षा और जन आंदोलन की रणनीति पर चर्चा हुई। यह विरोध अब एक राष्ट्रीय स्वरूप ले रहा है।

Bijli Mahapanchayat Lucknow Electricity Protest: राजधानी के आशियाना स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रेक्षागृह में रविवार को एक ऐतिहासिक बिजली महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रदेश भर से बिजली कर्मियों के परिजनों, किसान नेताओं, ट्रेड यूनियनों, उपभोक्ता संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के शामिल होने की संभावना है। यह महापंचायत पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में आयोजित की जा रही है।
महापंचायत में बिजली कर्मचारियों के परिजन, किसान संगठनों के पदाधिकारी और सामाजिक संगठन निजीकरण के पीछे छिपे मुनाफाखोरी के मॉडल और संभावित दुष्परिणामों पर खुलकर चर्चा करेंगे। आयोजकों के अनुसार, यह महापंचायत निजीकरण के खिलाफ एक व्यापक जन आंदोलन की दिशा में निर्णायक कदम साबित हो सकती है।
महापंचायत में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि इसमें देश की प्रमुख यूनियनों के साथ-साथ किसान संगठनों के शीर्ष नेतृत्व की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इनमें ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा, संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल प्रो. रत्नाकर राव, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आर.के. त्रिवेदी, इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉयीज ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी सुदीप दत्ता, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के वाई.पी. अरोड़ा, और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता वाई.एस. लोहित जैसे नाम प्रमुख हैं।
इस आयोजन को राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने भी समर्थन दिया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा स्वयं महापंचायत में उपस्थित रहेंगे और उपभोक्ताओं की चिंता को मंच पर रखेंगे। उन्होंने इसे उपभोक्ताओं, किसानों और कर्मचारियों के हितों के लिए जरूरी कदम बताया है। इस महापंचायत में निजीकरण के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जाएगा। साथ ही यह तय किया जाएगा कि इसके विरुद्ध राज्यव्यापी जन आंदोलन किस रूप में और किस समय से शुरू किया जाएगा। महापंचायत में बिजली दरों में प्रस्तावित भारी बढ़ोतरी भी एक प्रमुख मुद्दा रहेगा, जिस पर विशेषज्ञ विचार और वैकल्पिक सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
महासभा में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा, राज्यमंत्री सोमेन्द्र तोमर, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा नरेन्द्र भूषण, यूपी पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल और प्रबंध निदेशक पंकज कुमार को भी विशेष आमंत्रण भेजा गया है, जिससे सरकार और प्रबंधन पक्ष भी कर्मचारियों और उपभोक्ताओं की समस्याओं को प्रत्यक्ष रूप से सुन सकें। इस महापंचायत में बिजली वितरण से जुड़े सभी संविदा, नियमित, तकनीकी और अभियंता वर्ग के कर्मचारी शामिल होंगे। साथ ही किसानों की भागीदारी से यह आंदोलन व्यापक जनाधिकार स्वरूप लेने जा रहा है।
प्रमुख बिंदु महापंचायत के

- पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का विरोध।
- बिजली दरों में संभावित वृद्धि पर चिंता।
- जन आंदोलन की रूपरेखा तय करना।
- बिजली वितरण के निजीकरण के आर्थिक, सामाजिक और उपभोक्ता प्रभावों पर चर्चा।
- कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, वेतन और पेंशन से जुड़ी समस्याओं पर विमर्श।
- देशभर की ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों की एकजुटता का प्रदर्शन।
इस ऐतिहासिक बिजली महापंचायत को लेकर राजधानी लखनऊ में विशेष तैयारी की गई है। सुरक्षा व्यवस्था से लेकर यातायात नियंत्रण तक सभी पहलुओं पर प्रशासन सतर्क है। महापंचायत की सफलता से यह तय होगा कि आने वाले समय में बिजली क्षेत्र में निजीकरण को लेकर सरकार को कितनी बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। इस महापंचायत का उद्देश्य केवल विरोध नहीं बल्कि एक वैकल्पिक नीति पर चर्चा और समाधान प्रस्तुत करना भी है। यही कारण है कि इसमें सुप्रीम कोर्ट के वकील, जन संगठनों के प्रमुख और तकनीकी विशेषज्ञ भी विशेष रूप से आमंत्रित किए गए हैं। इस प्रकार यह आयोजन सिर्फ एक सभा नहीं, बल्कि एक नई दिशा देने वाली राष्ट्रीय बहस की शुरुआत मानी जा रही है।
Original Source - Patrika Live News
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